Sunday, May 2, 2010

मैं मन और विचार

अध्यात्मिक दृष्टी से मैं कौन हूँ यह विचार हर किसी या अधिकांश लोगो के मन में उमड़ता है कोई इसकी गहराई तक जाने की सोचता है तो कोई ऐसे ही छोड़ देता है । मेरे मन में भी यही विचार आया और मैंने मनन करना शुरू किया की मै कौन हूँ ? यह मै किसी का व्यक्तिगत मै नहीं है । तो सुरुआत तो ऐसे हूई की क्या मै यह देह है अगर हाँ तो देह का कौनसा हिस्सा मै है क्यों की देह का कोई हिस्सा मै होता तो कई ऐसे लोग भी है की जिनके देह के कई हिस्से उनके देह से अलग हो चुके होते है फिर भी मै होता है । इस मै को खोजने के मैंने अनेकोनेक यत्न किये, कई साहित्य, कई पुस्तके पढी पर संतुष्टी कही नहीं हूई । फिर इस मै को जानने के लिए मैने स्वयम की गतिविधिओ का निरिक्षण करने लगा । क्रमशाः........

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